भीम प्रज्ञा कोविड-19 मीडिया हेल्पलाइन टीम वर्तमान प्रसंग की कुछ तस्वीरों का विश्लेषण जो अंतर्मन को उद्वेलित कर देती हैं। मजदूर के आत्मनिर्भरता का दृश्य
गौर से देखिए इन मजदूरों को वास्तविक रूप में आत्मनिर्भरता की यह जीती जागती मिसाल है क्योंकि यह किसी के भरोसे नहीं है यह आत्मनिर्भर है चले जा रहे हैं मीलो, कोसो दूर भूखे- प्यासे,नंगे पैर अपने बीवी बच्चों को लेकर कोई अपना बैल बेचकर अपनी बैलगाड़ी में अपने इकलौते पुत्र को जोत रहा है तो कोई रिक्शे से यात्रा कर रहा है किसी ने अपने पहिए वाले बैग को ही अपने पुत्र के लिए गाड़ी बना दिया है।
9 माह की गर्भवती स्त्री भी सब कुछ भूलकर सिर्फ अपने गंतव्य तक जाना चाहती है कोई स्त्री रास्ते में ही अपने बच्चे को जन्म देकर कुछ देर बाद ही फिर से अपने गंतव्य को जानने के लिए तैयार हो जाती है
आंखों से भीगी हुई इनकी आंखें पैरों में पड़े छाले और लगातार चलने के कारण चप्पलों का घीस जाना साथ ही एड़ियों की चमड़ी तक का निकल आना.....
इससे भी कहीं ज्यादा संवेदनशील आत्म निर्भरता का उदाहरण हो सकता है?